*चंदा (बाल कविता)*
चंदा (बाल कविता)
घटते-घटते चंदा खोया
एक दिवस फिर जमकर सोया
दूज हुई तो सबको दीखा
बढ़ना हर दिन इसने सीखा
गोलमटोल हुई फिर काया
नभ से धरती को चमकाया
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
चंदा (बाल कविता)
घटते-घटते चंदा खोया
एक दिवस फिर जमकर सोया
दूज हुई तो सबको दीखा
बढ़ना हर दिन इसने सीखा
गोलमटोल हुई फिर काया
नभ से धरती को चमकाया
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451