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22 Jun 2023 · 1 min read

*चंदा (बाल कविता)*

चंदा (बाल कविता)

घटते-घटते चंदा खोया
एक दिवस फिर जमकर सोया
दूज हुई तो सबको दीखा
बढ़ना हर दिन इसने सीखा
गोलमटोल हुई फिर काया
नभ से धरती को चमकाया

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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