घोड़ी कभी चढ़ना नहीं
घोड़ी कभी चढ़ना नहीं
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तेरे बिना जीना नहीं
तेरे बिना मरना नहीं
राह में चाहे फूल हों
तेरे बिना चलना नहीं
परियाँ चाहे हमें मिले
तेरे बिना बढ़ना नहीं
काँटें चाहे हो पथ में
पीछे कभी हटना नहीं
दोस्त चाहे दुश्मन बने
किसी से है डरना नहीं
प्रेम राग गाएंगे हम
तेरे सिवा ढ़लना नहीं
कष्टों से गर हो सामना
हिम्मत कभी हरना नहीं
मौत अगर बुलाने लगे
हाँ भी कभी भरना नहीं
सुखविंद्र छीन लेगा तुझे
घोड़ी कभी चढ़ना नहीं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)