घुमड़ घुमड़ कर, नाचै रे
गीत—-घुमड़ घुमड़ कर, नाचै रे
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आज अचानक , दिल क्यूँ मेरा, घुमड़ घुमड़ कर, नाचै रे ।
हर आहट पर, हो भौचक्का पलक फाँवढ़े साजै रे ।
आज आचनक ——।
मोर पपीहा राह निहारें काहे न बरखा आवै रे ।
खेल रहे हैं आँख मिचोली घिरि घिरि बदरा जावै रे ।
आज आचनक——-।
गूँज रही मोहन की मुरली दूर कहीं पर बाजै रे ।
बाँध के डोरी खींचे दिल को पल पल ऐसा लागै रे ।
आज आचनक ——।
बैठ हिंडोले में मैं जाऊँ प्रीतम मोरा आवै रे ।
ले पैगाम ख़ुशी का सावन झूम झूम कर गावै रे ।
आज आचनक——।
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©✍ डॉ०प्रतिभा ‘माही’