घुटन
घड़ी की दो सुइयाँ,
बड़ी-छोटी,
दिन रात एक बंद आयाम और आवृति में घूमती ,
निरंतर चलती कुछ न कहती
नियति ने गढ़ रखी हो जैसे चाल ही इनके लिए ,
ख़ामोश निशब्द,
एक घुटन को साथ लिए,
वक़्त के बदलने से भी स्थिर,
एक ही कार्य के लिए प्रयासरत,
बाहर क्या होता है,
इससे अनजान ,
अपनी घुटन के साथ घुटती,
चुप बिल्कुल चुप,
बस चलती जाती….