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18 May 2023 · 1 min read

घायल तुझे नींद आये न आये

ख़ुदा तेरी रहमत का साया बहुत है
जरूरी नहीं तू गले से लगाये

है काफी बस इतना
कि रोयें अगर हम
तू दे कर तसल्ली
ज़रा मुस्कराए

वो शैतान क्यूँ बन गये
राज़ क्या है
या कह दे नहीं हैं
वो हव्वा के जाए

यहाँ से ख़ुशी
भागती जा रही है
लपकते चले आ रहे
ग़म के साये

चमन की ज़रा बेकसी
देखना तुम
की खुद बागबां
अपना आशियाँ जलाए

मेरी मौत पर
हंस रहा था जमाना
फरिश्तों के आंसू
मगर रुक न पाए

है काफी कि मालिक
निगाहों में तू है
“घायल” तुझे नींद आये न आये
(कब्र में)

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