घर
किसी के पास घर है कोई बेघर है
किसी को नींद महलों में आती है
किसी ने फुटपाथ पर सिकुड़ कर रात काटी है
किसी के पेट में अन्न निवाला भारी है
किसी के घर नोट के बंडल खाली हैं
गरीबों का निवाला छीन कर जो घर भरते हैं
वह धन के लोभी गरीबों का खून चूसते हैं
हर तरफ घोटालों का जंजाल भारी है
पढ़े लिखे लोगों के पास केवल डिग्रीयां सारी है
ऐसे दगाबाजों को सबक सिखाना ही होगा
देश को उत्थान का पद दिखाना ही होगा
अधिकार और कर्तव्य एक प्राण दो शरीर है
सभी को अधिकार मिले यह कर्तव्य समझाना ही होगा ।