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9 Jan 2022 · 1 min read

घर वाले आ रहे हैं

सुनो घरवाले आ रहें हैं,जल्दी छुपा दो,
ये नाराज़गी, ये नफरत कहीं दबा दो,
बहुत अरसों बाद वो आयेंगें यहां,
उनसे प्यार से मिलेंगे ये सबको बता दो।
क्यों बंद हैं ये दरवाज़े,इन्हें खोल दो,
रिश्तों के धागे दब कर कहीं टूट ना जाये,
ये दर्द ये आंसू ये कंटीली दालान,
अरे हटाकर इन्हें किसी अलमारी में छुपा दो।
घर की दीवार में एक दरार बड़ी सी है,
जल्दी से किसी साज़िश का मसाला लगा दो,
बाबूजी आ रहे हैं गुस्सा करेंगे,
बरसों से पड़ी ये उनकी चिलम जला दो।
माँ, भाई और बहन भी होंगे साथ में,
ज़रा दीवार पे पुरानी वो तस्वीर लगा दो,
आज आएंगे मेरे परिवारवाले मिलने मुझसे,
ये पैसा,रुतबा,ये घमंड,किसी दरख़्त में छुपा दो,
मेरे घरवाले आ रहे हैं सबको बता दो।

©ऋषि सिंह “गूंज”

Language: Hindi
1 Like · 214 Views
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