घर बुलाने का तो बहाना था
**घर बुलाने का तो बहाना ना**
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घर बुलाने का त़ो बहाना था,
राज दिल का तुम्हें बताना था||
भूल जाए गम जो मिले उन से,
नींद गहरी मे ही सुलाना था|
जिंदगी में कब दम निकल जाए,
साथ अक्सर सच्चा निभाना था|
आप का दोस्ताना निराला दर,
पर सफर प्यारा सा सुहाना था|
बात ही बातों में बता दी व्यथा,
प्यार झूठा – मूठा जताना था|
हैं लहू के लथ-पथ कहानी हर,
जो सुना हिस्सा वो पुराना था|
गम भरा अफसाना हमारा पर,
गीत गाया वो जो सुनाना था|
आंख का अश्रु नमकीन मनसीरत,
याद आया गुजरा जमाना था|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)