घर/बाहर
यहाँ दस से पाँच नौकरी का दर्द नही
तो क्या इसलिये छुट्टी का कोई अर्थ नही ?
8 घंटे की नौकरी का मर्म अलग है
24 घंटे की नौकरी फर्ज अलग है ,
वहाँ बीमार होने पर छुट्टी की दरकार है
यहाँ तो चौबीस में दो घंटे और जोड़ने का फरमान है ,
वहाँ दस से पाँच के बदले बैंक में कुछ तो आता है
यहाँ तो अंटी का बचा खुचा भी चला जाता है ,
वहाँ अच्छे काम पर प्रमोशन से तो नाता है
यहाँ तो हर को बस ताने सुना जाता है ,
वहाँ बैंक में जमा पैसे खादिमों की फौज तो खड़ी कर पायेगी
यहाँ क्या घर की इस खादिम को हरा पायेगी ?
वो देते हैं हर बात पर छोड़ कर जाने की मार
हम देते हैंं खातिमगारी में बस प्यार ही प्यार ,
वहाँ उनकी मजबूरी है नौकरी करना
यहाँ हमारा मान है इसमें जीना ,
वहाँ उनको तारीफों – अवार्डो से नवाजा जाता है
यहाँ हमें कागज़ से भी हल्के में उड़ाया जाता है ,
वहाँ वो अपने दर्द का देते दूसरों को हवाला हैं
यहाँ हमारा दम तो अपनो ने ही निकाला हैं ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10/07/18 )