*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)
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1)
घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी
जेब लगी है कुर्ते में तो, धन लेकर घर आएगी
2)
घर की सुख-समृद्धि रहेगी, निर्भर कब अब पुरुषों पर
आमदनी में योग करेगी, नारी स्वयं कमाएगी
3)
यह वेतन की महिमा है जो, नारी-खाते में आता
सचमुच घर की महालक्ष्मी, नारी अब कहलाएगी
4)
खुद से कमा रही है नारी, खुद खर्चे की अधिकारी
साथ पुरुष के बना योजना, घर अब उचित चलाएगी
5)
नए दौर में मिलजुल कर अब, दोनों को रहना होगा
मनमानी अब नहीं पुरुष की, नारी पर चल पाएगी
6)
थोड़ा-थोड़ा झुकना अक्सर, सीखा जिन पति-पत्नी ने
स्वर्ण-जयंती शुभ विवाह की, जोड़ी वही मनाएगी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999761545