घर की इज्जत __ कविता
घर की इज्जत हाथ तुम्हारे __
कभी न इसको जाने दो।।
आएंगे तुफां इश्क मोहब्बत के_
आए चाहे इनको आने दो।।
कुछ क्षणों की हवा है यह तो_
चलेगी गुजर जाएगी।
सभी जनों की रजामंदी से_
घर _ संसार बस जाने दो।।
बात जाएगी घर से बाहर_
लोग हसेंगे जी सारे।
जीने न देंगे आते जाते_
रोकेंगे _ टोंकेंगे जी सारे।।
अपने घर के अंदर आप_
यह नौबत कभी न आने दो।।
राजेश व्यास अनुनय