घरौंदा….
घरौंदा…
ख्वाबों का घरौंदा मिलकर बनाया था कभी
साथ रहने की बातें एक छत के तले
तिनका-तिनका जुटाया हरपल
एक दिन बनकर तैयार हुआ जब घरौंदा
तब हजारों खुशियाँ और तुम साथ
बीतने लगे दिन हँसी के सहारे
अचानक एक दिन वक्त का ऐसा तूफान आया
बस एक ही थपेड़े में सब कुछ
उड़ा ले गया अपने साथ!
साथ छूटा एक-दूसरे का
ख्वाबों का घरौंदा वही उजड़ गया!
वक्त के साथ सब कुछ राख हो गया
दोनों तड़पते रहे एक-दूसरे से मिलने को
अफसोस
तुम उस किनारे और मैं इस किनारे खड़ा
केवल देखता रहा!
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)