घर(पाँच दोहे)
घर (पाँच दोहे)
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(1)
एक दिया काफी हुआ ,करने को उजियार
जनसंख्या बढ़ती जहाँ , होता बंटाधार
(2)
लड़का – लड़की जानिए ,दोनों एक समान
दोनों को शिक्षित करें ,दोनों गुण की खान
(3)
प्रभु जी सबको दीजिए ,सपनों का संसार
शिक्षित हों बेटा – बहू ,घर में बसता प्यार
(4)
पोता – पोती से करें ,दादा जी संवाद
दृश्य बताते हैं यही , घर सुंदर आबाद
(5)
एक मेज पर बैठकर ,खाना खाते संग
धन्य – धन्य वह घर जहाँ ,ऐसे रोज प्रसंग
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451