घनाक्षरी
एक और घनाक्षरी?
तात मात गुरुदेव पूज्यनीय वंदनीय
एक एक शब्द इन तीनों का प्रणम्य है
कल तक जो अगम्य लगता था पथ मुझे
माता की कृपा से आज लगता सुगम्य है
माँ की महिमा अपार जिसका न आर पार
ज्ञान वाटिका का ज्ञान लगता सुरम्य है
श्रेष्ठ सुधीजनों विद्धजनों को प्रणाम मेरा
विनयानवत यह आपका अदम्य है
अभिनव मिश्र “अदम्य”
अदम्य