Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2021 · 1 min read

घनाक्षरी (मजदूर दिवस)

गरीब गाथा
घनाक्षरी छंद
बचा दाना पानी नहीं, सुरक्षित छानी नहीं,
पीर कोई जानी नहीं, कैसे पेट भरना ।

नहीं मिले मजदूरी,सबने बनाई दूरी
लाक डान मजबूरी,छोड़ते हैं घर ना ।

हमसे तो जादा भले,जानवर लगते हैं,
कोई प्रतिबंध नहीं, चाहे जहाँ चरना ।

भारत में लोकतंत्र, गरीबों का रोल क्या है,
बस यही वोट देना, वोट देके मरना ।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश

369 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ की 313वीं कवि गोष्ठी रिपोर्ट
मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ की 313वीं कवि गोष्ठी रिपोर्ट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
Neelam Sharma
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
अनकहा रिश्ता (कविता)
अनकहा रिश्ता (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
यदि सलाह देने की स्थिति में होता तो कई मित्रों से कहता कि आप
यदि सलाह देने की स्थिति में होता तो कई मित्रों से कहता कि आप
*प्रणय प्रभात*
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
ruby kumari
" शिक्षक "
Dr. Kishan tandon kranti
---माँ---
---माँ---
Rituraj shivem verma
बिहनन्हा के हल्का सा घाम कुछ याद दीलाथे ,
बिहनन्हा के हल्का सा घाम कुछ याद दीलाथे ,
Krishna Kumar ANANT
कोई ग़लती करे या सही...
कोई ग़लती करे या सही...
Ajit Kumar "Karn"
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
असफ़लता का दामन थाम रखा था ताउम्र मैंने,
असफ़लता का दामन थाम रखा था ताउम्र मैंने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संत का अपमान स्वप्न में भी न करें, चाहे स्वयं देवऋषि नारद आप
संत का अपमान स्वप्न में भी न करें, चाहे स्वयं देवऋषि नारद आप
Sanjay ' शून्य'
आज दिल ये तराना नहीं गायेगा,
आज दिल ये तराना नहीं गायेगा,
अर्चना मुकेश मेहता
अभ्यर्थी हूँ
अभ्यर्थी हूँ
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मैंने अपनी, खिडकी से,बाहर जो देखा वो खुदा था, उसकी इनायत है सबसे मिलना, मैं ही खुद उससे जुदा था.
मैंने अपनी, खिडकी से,बाहर जो देखा वो खुदा था, उसकी इनायत है सबसे मिलना, मैं ही खुद उससे जुदा था.
Mahender Singh
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
Shiva Awasthi
Enchanting Bond
Enchanting Bond
Vedha Singh
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
gurudeenverma198
ठहर गया
ठहर गया
sushil sarna
गिरने से जो डरते नहीं.. और उठकर जो बहकते नहीं। वो ही..
गिरने से जो डरते नहीं.. और उठकर जो बहकते नहीं। वो ही.. "जीवन
पूर्वार्थ
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
*पैसा ज्यादा है बुरा, लाता सौ-सौ रोग*【*कुंडलिया*】
*पैसा ज्यादा है बुरा, लाता सौ-सौ रोग*【*कुंडलिया*】
Ravi Prakash
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
Neeraj Agarwal
अवंथिका
अवंथिका
Shashi Mahajan
2984.*पूर्णिका*
2984.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं
प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Loading...