घनाक्षरी (मजदूर दिवस)
गरीब गाथा
घनाक्षरी छंद
बचा दाना पानी नहीं, सुरक्षित छानी नहीं,
पीर कोई जानी नहीं, कैसे पेट भरना ।
नहीं मिले मजदूरी,सबने बनाई दूरी
लाक डान मजबूरी,छोड़ते हैं घर ना ।
हमसे तो जादा भले,जानवर लगते हैं,
कोई प्रतिबंध नहीं, चाहे जहाँ चरना ।
भारत में लोकतंत्र, गरीबों का रोल क्या है,
बस यही वोट देना, वोट देके मरना ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश