Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2024 · 1 min read

“घड़ीसाज”

“घड़ीसाज”
इस दुनिया में घड़ी सुधारने वाले हजारों हैं, लेकिन घड़ी (समय) को तो आपको खुद ही सुधारने होंगे।

2 Likes · 2 Comments · 15 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
ek abodh balak
ek abodh balak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ଡାକ ଆଉ ଶୁଭୁ ନାହିଁ ହିଆ ଓ ଜଟିଆ
ଡାକ ଆଉ ଶୁଭୁ ନାହିଁ ହିଆ ଓ ଜଟିଆ
Bidyadhar Mantry
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
Shweta Soni
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
23/107.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/107.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
Radhakishan R. Mundhra
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
जीवन से पहले या जीवन के बाद
जीवन से पहले या जीवन के बाद
Mamta Singh Devaa
" अकेलापन की तड़प"
Pushpraj Anant
"ऐ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
सोने के सुन्दर आभूषण
सोने के सुन्दर आभूषण
surenderpal vaidya
मित्रता
मित्रता
Shashi Mahajan
प्रभु राम मेरे सपने मे आये संग मे सीता माँ को लाये
प्रभु राम मेरे सपने मे आये संग मे सीता माँ को लाये
Satyaveer vaishnav
.तेरी यादें समेट ली हमने
.तेरी यादें समेट ली हमने
Dr fauzia Naseem shad
अमीरों का देश
अमीरों का देश
Ram Babu Mandal
■ ज़ुबान संभाल के...
■ ज़ुबान संभाल के...
*प्रणय प्रभात*
रुसवा दिल
रुसवा दिल
Akash Yadav
बकरी
बकरी
ganjal juganoo
*हल्दी (बाल कविता)*
*हल्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
Rainbow on my window!
Rainbow on my window!
Rachana
!..........!
!..........!
शेखर सिंह
रिशते ना खास होते हैं
रिशते ना खास होते हैं
Dhriti Mishra
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
Neelofar Khan
पिता
पिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
(22) एक आंसू , एक हँसी !
(22) एक आंसू , एक हँसी !
Kishore Nigam
जा रहा हु...
जा रहा हु...
Ranjeet kumar patre
विरह–व्यथा
विरह–व्यथा
singh kunwar sarvendra vikram
Loading...