*”घंटी”*
“घंटी”
ईश्वर प्राप्ति हेतु माध्यम बनती ,
घंटी की ध्वनि फायदेमंद कहलाती।
ऋषि कश्यप के पुत्र गरुड़ देव कहलाते,
पत्नी उन्नति ,विनता पक्षियों में,
अरुणा (सूर्य देव के सारथी) सर्पिन नागाओं में माता पिता।
बिन घंटी के पूजा अर्चना अधूरी रह जाती।
गरुड़ की घंटी जब बजाते ,पूजा पूरी हो मोक्ष प्राप्ति कर जाती।
सुबह उठते ही शंख घंटी ध्वनि फायदेमंद होती,
घर में सकारात्मक ऊर्जा शक्ति दे जाती।
घंटी बजाने से चेतना जागृत हो जाती ,
देवी देवता प्रसन्न हो भक्ति की ओर बढ़ जाते।
सूर्यास्त के बाद देवी देवता सो जाते ,
शंख घंटी ध्वनि से आराम में दखल पड़ता।
घंटी बजा पूजा अर्चना करते हुए भक्ति मय,
चारों ओर ध्वनि गूंजती ,
शुद्ध वातावरण सुकून शांति दे जाते।
गरुड़ देव की पूजन महालक्ष्मी सदा सुखी रखती,
शुभ दीपावली आनंद मय मंत्र मुग्ध हो जाते।
पूजा सफल होने का संकेत बतलाती।
भगवान प्रसन्न हो जाते।
देवी देवता प्रसन्न हो भक्ति रस दे जाते।
घंटी दान से शिव जी का वास हो ,
सकारात्मक प्रभाव नई ऊर्जा शक्ति दे जाते।
घंटी आंखों के पीछे सिर के किनारे पर इंगित करती।
ब्रम्हमुहूर्त में पूजा कर घंटी ध्वनि से,
दूजे प्रहर में मोहन भोग लगाते।
सांझ ढले जब दीप जलाकर पर्यावरण शुद्ध वातावरण सुकून शांति दे जाते।
घंटी किनारा कलेपर ठोस धातु पीतल से बना हुआ,
घंटी फलदाई प्रभाव शाली पूजा अर्चना ,
अराधना सफल हो जाती।
देवी देवता की प्रतिमा स्थापित कर,
चेतना जागृत हो जाती।
उपासना भक्ति करने वाले भक्तों की,
प्रार्थना स्वीकार हो जाती।
ध्यान पूर्वक घंटी ध्वनि से ,पूजा अर्चना का प्रभाव ,
देवी देवताओं के समक्ष उपस्थित हो हाजिरी लग जाती।
शशिकला व्यास शिल्पी
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