Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 1 min read

*गज़ल*

जान जाने के हैं’ आसार खुदा जाने क्यों
आप से हो गया’ है प्यार खुदा जाने क्यों

बात जिनमें हो तुम्हारी ही तुम्हारी केवल
अच्छे लगते हैं वो अशआर खुदा जाने क्यों

दूरियाँ हमने मिटा दीं हैं सभी जब उनसे
फिर खड़ी बीच ये दीवार खुदा जाने क्यों

आज जितना भी’ सितम चाहो’ ख़ुशी से कर लो
दिल, जिगर, जान हैं’ तैयार खुदा जाने क्यों

फैसला आज मिलेगा सुना है अर्जी पर
बदला – बदला सा है दरबार खुदा जाने क्यों

हर समय जब भी बढ़ाये हैं कदम हमने तब
प्यार की राह मिली हार खुदा जाने क्यों

इश्क में डूब के देखा कि ‘प्रणय’ है इसमें
दर्द ही दर्द की भरमार खुदा जाने क्यों
लव कुमार ‘प्रणय’
(आर/ खुदा जाने क्यों
2122 1122 1122 22)

2 Likes · 477 Views
Books from LOVE KUMAR 'PRANAY'
View all

You may also like these posts

*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
Shashi kala vyas
आज तो मेरी हँसी ही नही रूकी
आज तो मेरी हँसी ही नही रूकी
MEENU SHARMA
मानक
मानक
Khajan Singh Nain
#ਪੁਕਾਰ
#ਪੁਕਾਰ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
सब बिकाऊ है
सब बिकाऊ है
Dr Mukesh 'Aseemit'
पंचतत्व का परमतत्व में विलय हुआ,
पंचतत्व का परमतत्व में विलय हुआ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
दोस्त जितने भी मिले,वफादार मिले
दोस्त जितने भी मिले,वफादार मिले
करन ''केसरा''
पंछी अकेला
पंछी अकेला
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
तेरे दिल में क्या है -
तेरे दिल में क्या है -
bharat gehlot
इश्क़ हो गया।
इश्क़ हो गया।
Kuldeep mishra (KD)
कुछ भी नहीं मुफ्त होता है
कुछ भी नहीं मुफ्त होता है
gurudeenverma198
समय का इंतज़ार
समय का इंतज़ार
अनिल "आदर्श"
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
रुपेश कुमार
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
3749.💐 *पूर्णिका* 💐
3749.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आओ मना लें नया वर्ष हम
आओ मना लें नया वर्ष हम
Ashok Sharma
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
Keshav kishor Kumar
जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रक्खो !!
जिंदगी जीने का कुछ ऐसा अंदाज रक्खो !!
शेखर सिंह
क्य़ूँ अपना सर खपाऊँ मैं?
क्य़ूँ अपना सर खपाऊँ मैं?
Kirtika Namdev
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
Ajit Kumar "Karn"
कुछ जवाब शांति से दो
कुछ जवाब शांति से दो
पूर्वार्थ
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
मेरी फितरत है बस मुस्कुराने की सदा
मेरी फितरत है बस मुस्कुराने की सदा
VINOD CHAUHAN
खुद को पागल मान रहा हु
खुद को पागल मान रहा हु
भरत कुमार सोलंकी
हिंदी दिवस विशेष
हिंदी दिवस विशेष
रेखा कापसे
होली
होली
Madhuri mahakash
ज़रूरी है...!!!!
ज़रूरी है...!!!!
Jyoti Khari
"इश्क"
Dr. Kishan tandon kranti
दोस्त तुम अलग हुए
दोस्त तुम अलग हुए
Shweta Soni
Loading...