श्री लव कुमार 'प्रणय' के नवीनतम ग़ज़ल संग्रह "पारिजात हूँ मैं" की ग़ज़लों में विषयों की विविधता,तीक्ष्ण दृष्टिबोध, शब्दों का चयन, भावों का श्रृंगार और शिल्प की कसावट देखते ही... Read more
श्री लव कुमार ‘प्रणय’ के नवीनतम ग़ज़ल संग्रह “पारिजात हूँ मैं” की ग़ज़लों में विषयों की विविधता,तीक्ष्ण दृष्टिबोध, शब्दों का चयन, भावों का श्रृंगार और शिल्प की कसावट देखते ही बनती है।यथा-
प्रेम का पारिजात हूँ मैं तो।
बस मुझे प्यार से सँवारो तुम।।
इस संग्रह की विशेषता है कि इसकी सभी ग़ज़लें एक ही छन्द “पारिजात” पर आधारित हैं। पुस्तक की रचनाओं में जहाँ एक ओर मानवीय संवेदनाएं झंकृत होती हैं वहीं सामाजिक विसंगतियों पर भी तीखा व्यंग और प्रहार परिलक्षित होता है।