गज़ल
झूठी सही खता मेरी कोई बता तो दे
बहने दे आँसु मेरे तू कोई सजा तो दे
जीना मुहाल हो गया तेरे बिना मेरा
हक़ में तू मेरे फैसला कोई सुना तो दे
तू ही बता में कैसे बिताऊँ ये ज़िन्दगी
हो जाऊँ में फ़ना एसी कोई दुआ तो दे
तूने संभाल क्यों रखे खत आज भी मेरे
उन्हें बहा दे या फिर उनको जला तो दे
होता तु ख्वाब कोई भुला भी देते तुझे
कैसे भुलाऊं तुझे मुझे हौसला तो दे
हम खोये रहते है उन राहो पे आज भी
आके मंजिल कि राहमुझे तू दिखा तो दे
( लक्ष्मण दावानी )
17/12/2016