गज़ल
गज़ल
212 212 212 212
फूल चुभने लगे हर खुशी के मुझे
ख्वाब डसने लगे जिंदगी के मुझे ।
आ गई रास है मुझको नाकामियां
गीत अच्छे लगे बेबसी के मुझे ।
अब बना मेरा अन्धेरा है हमसफर
छोड़ साथी गए रौशनी के मुझे ।
आ गया हूँ चमन से मैं वीराने में
रंग फीके लगे हर कली के मुझे।
चैन जब लूट मेरा गया दोस्तों
दर्द अच्छे लगे आदमी के मुझे
दिल जला,घर जला,जिंदगी जल गई
ये सिले हैं मिले आशिक़ी के मुझे ।
मेरे दुशमन तू अब दुश्मनी ही निभा
तोहफे भेज मत दोस्ती के मुझे ।
-अजय प्रसाद