गज़ल
अचानक वो नजदीक आने लगे हैं
नया मुझसे रिश्ता जताने लगे हैं
मैं जबसे हुआ हूँ महकमे का हाकिम
सभी हाजिरी अब लगाने लगे हैं
चुनावी हुआ है ये माहौल सारा
फसल वोट की सब उगाने लगे हैं
अचानक हुआ क्या समझ से परे है
सभी मुझसे रिश्ता बताने लगे हैं
जिन्होंने उठाए थे नफरत के परचम
वही प्यार के गीत गाने लगे हैं
सियासत का देखा है इक रंग यह भी
कि नेता जनेऊ चढ़ाने लगे हैं
तिरंगा भी दंगे का कारण बना अब
चमन बागवाँ ही जलाने लगे हैं
जलाई जिन्होंने थी ये बस्तियाँ कल
वही आज आँसू बहाने लगे हैं
यहाँ कृष्ण मैली रहेगी ये गंगा
सभी पाप करके नहाने लगे हैं
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद