गज़ल :– मुझको पाने की इबादत की थी मेरे यार नें ॥
गज़ल :– मुझको पाने की इबादत की थी मेरे यार नें ॥
बहर :- 2122-2122-2122-212
माँग लूँ उसको खुदा से दे के बदले जान भी ।
मुझको पाने की इबादत की थी मेरे यार नें ॥
हर तरफ़ चर्चे बहुत हैं और बातें प्यार की ।
प्यार में ऐसी महारथ की थी मेरे यार नें ॥
भूलवश मैं यार का दिल तोड़ दूँ मुंकिन नहीँ ।
प्यार में हर पल शहादत दी थी मेरे यार नें ॥
मैं यहां सब कुछ भुला बस साथ चाहूं यार का ।
साथ चलने की ये आदत की थी मेरे यार नें ॥
बेच दूँ खुद को “अनुज” शर्तों में अपने प्यार के ।
बेपना पाकी मुहब्बत की थी मेरे यार नें ॥
अनुज तिवारी “इंदवार”