गज़ल/गीतिका
सब अपने ही भाई हैं
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छोड़ो नफरत की बातें सब मिलने जुलने की बात करो,
सच्चाई के पथ चलकर हम मंदिर निर्माण को निकले हैं।
नफरत बैर को भूल जाओ ये भी तुमको समझाते हैं,
मुठ्ठी भर सनकी लोगों हम अपना संदेश बताते हैं।
हम राम भक्त सबके मन में भाव जगाने निकले हैं,
हम जन जन के मन में सदभाव जगाने निकले हैं।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब अपने ही भाई हैं,
कट्टरपंथी तुम जैसों को सबक सिखाने निकले हैं।
कुछ भी हरकत करने से पहले अंजाम की चिंता भी करना,
नीच सोच वालों को हम श्मशान पठाने निकले हैं।
गया समय अब बीत गया अब सूरज नया निकल आया,
कट्टरपंथी ठेकेदारों को अब हम सबक सिखाने निकले हैं।
?सुधीर श्रीवास्तव