Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2019 · 1 min read

ग्राम्य जीवन

इन गांवों में मिलती है जीवन की परिभाषा।
आशाओं को घेरे बैठी मन की घोर निराशा।
मरता हुआ हर इंसान रखता जीने की अभिलाषा।
संध्या समय ग्राम प्रांत।
कितना नीरव , कितना शांत।
कुछ घरों में अंधेरा, मगर कुछ में डिब्बियां जल रही हैं।
यहां पर है शांति का बसेरा, मगर नैतिकता जल रही है।
किसान हारा थका सा खेत से आया।
चिलम में तम्बाकू रखा और गुड़गुड़ाने लगा।
बेचारी कृषिका ने चूल्हा जलाया,
हुक्का ठीक से बना बड़बड़ाने लगा।
किस्मत में नहीं दो घड़ी भी सुकून ।
रंभाती गाय को देख छुटता जलून।
तू तो आते ही लग गई रसोई तपने में।
जैसे क्या घंटों लगेंगे बस दूध पकने में।
तिमन क्या पकाएगी रखा होगा दोपहर का।
लाल मिर्च उठा दे तड़का लगा दूं अरहर का।
जल्दी चल छप्पर में रखी दांती से जून काट दे।
फिरा दूं तू अबास लगा चल गौत काट दे।
भूखे डांगर हो रहे हैं रेखा विक्रांत।

Language: Hindi
2 Likes · 500 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
Dr MusafiR BaithA
"शेष पृष्ठा
Paramita Sarangi
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
Phool gufran
1 *शख्सियत*
1 *शख्सियत*
Dr Shweta sood
*****गणेश आये*****
*****गणेश आये*****
Kavita Chouhan
अक्सर यूं कहते हैं लोग
अक्सर यूं कहते हैं लोग
Harminder Kaur
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
Kishore Nigam
आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन पवित्र उत्सव का उरतल की गहराइ
आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन पवित्र उत्सव का उरतल की गहराइ
संजीव शुक्ल 'सचिन'
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सपनों का अन्त
सपनों का अन्त
Dr. Kishan tandon kranti
पिता
पिता
Sanjay ' शून्य'
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
Buddha Prakash
करती गहरे वार
करती गहरे वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अंबेडकर की रक्तहीन क्रांति
अंबेडकर की रक्तहीन क्रांति
Shekhar Chandra Mitra
2778. *पूर्णिका*
2778. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य और अमृत
सत्य और अमृत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
विनोद सिल्ला
सरल जीवन
सरल जीवन
Brijesh Kumar
!! युवा मन !!
!! युवा मन !!
Akash Yadav
❤️🖤🖤🖤❤
❤️🖤🖤🖤❤
शेखर सिंह
जब होंगे हम जुदा तो
जब होंगे हम जुदा तो
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-451💐
💐प्रेम कौतुक-451💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
किसी को नीचा दिखाना , किसी पर हावी होना ,  किसी को नुकसान पह
किसी को नीचा दिखाना , किसी पर हावी होना , किसी को नुकसान पह
Seema Verma
तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं।
तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं।
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
🌸हास्य रस घनाक्षरी🌸
🌸हास्य रस घनाक्षरी🌸
Ravi Prakash
दर्द अपना संवार
दर्द अपना संवार
Dr fauzia Naseem shad
Loading...