गौरैया
बचपन में देखी थी गौरैया रानी।
अब लगता है मानों खो गई ,
वो बनकर कहानी।
ची- ची सुबह जब करती थी वो।
मन सुनकर खिल सा था जाता,
अब न मन को कोई लुभाता ।
छोटी सी नंही सी,
थी वो चिड़िया रानी।
रंग रूप से सुंदर थी,
न जाने अब कहा गई,
हर आंगन की रौनक थी।
चोंच से चुगती दाना वो,
झट से फुरकर उड़ जाती थी।
उसकी मन मोहक छवि ,
मन में बस जाती थी