गौरैया दिवस
भोर होते ही चू चू करती,
जब उड़ती है गौरैया रानी,
दूर दूर तक घूम घूम कर,
लेकर आती है दाना पानी।
फुर फ़ुर कर जब आती,
वह मेरे छोटे से आंगन में,
बच्चे भी दौड़ लगाते है,
उसे पकड़ने मेरे आंगन में।
आ जाओ तुम फिर एक बार,
दाना पानी कर रहा इंतजार।
घौसला तुम्हारा बना दिया है
बाहर के वृक्ष पर सजा दिया है।
बहु मंजिला मकान जबसे बनने लगे है,
पशु पक्षी भी कम दिखाई देने लगे है।
फिरते रहते है इधर उधर ये अब बेचारे,
रात्रि को विश्राम करे कहां ये अब बेचारे।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम