गौरखपुर की त्रासदी
गौरखपुर की त्रासदी
आज स्वतंत्रता की माटी पर
माँ के दर्द की चौखाटी पर
मासूमों की जानों का
ये कैसा उपहार मिला
15 अगस्त से कुछ दिन पहले
लाशों का अम्बार मिला।
कैसे मैं मानू की मैं
स्वतंत्र देश का वासी हूँ
सुख समृद्धि और अहिंसा
खुशहाल देश का वासी हूँ
मेरे स्वतंत्र देश में अब भी
प्राणों का कोई मोल नहीं
इस संहार पर नेताओं के
अहसासों का बोल नहीं।
इस संहार पर जाकर देखो
उन माओं की पीड़ा को
उन बहनों की अभिलाषा को
भाई की ,क्रंदन क्रीड़ा को
उन गद्दारों का क्या बिगडा है
वे कुर्सी अपनी पाले हैं
व्यथित पीड़ा तो उस माँ की है
जिसने बच्चे पाले हैं।
जिसने अपने सुत खोये हैं
सत्ता की अय्याशी में
उनके दुःख का मोल चुकाओ
नेताओं की फाँसी में।
(व्यथित पीड़ा)
नरेश मौर्य