*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)
————————————-
1)
गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान
धन्य-धन्य भगवान जी, अपने किया समान
2)
रामलला का देखिए, काला गहरा रंग
गोरे को अच्छा कहा, अनुचित अब तक ढंग
3)
पूरा दिखता चंद्रमा, कभी अमावस रात
क्या अद्भुत परिकल्पना, वाह-वाह क्या बात
4)
गोरे कुछ काले हुए, जग में सब इंसान
कृति हैं यह सब ईश की, उसका रचा विधान
5)
गोरे रॅंग की श्रेष्ठता, मानव की है भूल
काले में सोचो भला, लगे हुए क्या शूल
6)
काले अपने राम जी, काले हैं श्री श्याम
काले में यों भर गए, सदगुण भव्य तमाम
7)
काले बादल कर रहे, धरती को जल-दान
काले-काले रंग का, मानो सब अहसान
8)
मोबाइल का कम करें, कल से इस्तेमाल
हो जाऍंगी अन्यथा, काली ऑंखें लाल
9)
काले दिन समझो सुखद, काले दिन गुणवान
शुभचिंतक हैं कौन जन, करवाते पहचान
10)
काले पत्थर पर घिसा, सब ने स्वर्ण महान
काले ने की सुनहरे, सोने की पहचान
11)
यौवन की पहचान है, सुंदर काले बाल
जब सफेद होने लगे, उठने लगे सवाल
12)
श्वेत-श्याम फोटो खिंचा, दो रंगों का काम
उजला श्वेत निखर उठा, मिला उसे जब श्याम
—————————————
नोट : बीमारी के कारण अक्सर चेहरा काला पड़ जाता है। दोहा संख्या ‘एक’ में इसी ओर संकेत है।
—————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451