गोपियों का विरह– प्रेम गीत।
प्रेम में, प्रेम में, प्रेम में, प्रेम में, गोपियों की कहानी रही प्रेम में।
राधिका का विरह भी रहा प्रेम में, अश्रु आकर के बहना रहा प्रेम में,
मीरा गीतों को गाती रही प्रेम में, कृष्ण पूजन भी करती रही प्रेम में,
प्रेम में कितनी गंगा उठाई गई, प्रेम में कितने आंसू बहाये गए,
कितने वादे भी होते रहे प्रेम में, पत्रिकाएं भी आती रहीं प्रेम में।
प्रेम में, प्रेम में, प्रेम में, प्रेम में, गोपियों की कहानी रही प्रेम में।
प्रश्न छोटा सा भगवन से मेरा यही, क्यों ना वादे निभाए गए प्रेम में?
राधिका को मिले कष्ट क्यों प्रेम में, गोपियों को मिले अश्रु क्यों प्रेम में?
राधिका ने जतन जो किए प्रेम में, रुक्मणी के जतन से वो कम तो नहीं,
अंत में फिर भी ये क्यों हुआ प्रेम में, कृष्ण राधा को मिल ना सके प्रेम में।
प्रेम में, प्रेम में, प्रेम में, प्रेम में, राधिका का विरह क्यों रहा प्रेम में?
अभिषेक सोनी “अभिमुख”