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11 Feb 2022 · 1 min read

गैर

तूने गैर बसाकर आँखों में
ज़हर घोल दी मेरी सांसों में
अब कैसे जीऊंगा मैं तन्हा तन्हा रातों में

फूलों की तमन्ना में उलझ गया हूँ काँटों में
अब कैसे जीऊंगा मैं तन्हा तन्हा रातों में

काश मैं तुझ पे ऐतबार न करता
हद से ज्यादा प्यार न करता
क्यों आया दिल तेरी बातों में
अब कैसे जीऊंगा मैं तन्हा तन्हा रातों में

कमी क्या थी मेरे प्यार में दिलबर
जो जख्म दिया तूने मेरे दिल पर
सर से पांव तक भीग गया हूँ मैं
गम की इस बरसातों में

अब कैसे जिऊंगा मैं तन्हा तन्हा रातों में.

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