**गैरों के दिल में भी थोड़ा प्यार देना**
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/46a01a42bf3c13697e0ec951ae6c2248_e461ce9eb74452ae8e270a7db201f03d_600.jpg)
**गैरों के दिल में भी थोड़ा प्यार देना**
*******************************
रोटी खानें को बेशक दो चार देना,
गैरों के दिल में भी थोड़ा प्यार देना।
गम का झौंका दिल ए दर को छू न पाए,
खुशियाँ लाखों की फ्री में ही वार देना।
तन्हाँ धड़कन बढ़ती बढ़ती बढ़ रही यूँ,
प्यासे सीने को बाँहो का हार देना।
हर हसरत पूरी हो जो माँगी खुदा से,
फूलो सा खिलता हो घर संसार देना।
मानसीरत कहता-कहता कह न पाया,
दुख का साया भी हम पर ही तार देना।
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)