गृहणी भी एक मनुष्य है …
गृहणी ही करती दिखती सदा ,
पूरे परिवार की सेवा ।
मगर मजाल क्या उसे कोई ,
एक गिलास पानी का भी पिला दे ।
वही देखभाल करती रहती सबकी ,
मगर नहीं देखा किसी को उसका हाल पूछते ?
वही रखती सबकी पसंद और सुख का ख्याल ,
मगर किसने देखा उसकी मुस्कान के पीछे ,
एक दर्द को झांकते ।
वोह न हो घर पर कभी तो सारा घर बिखर जाता है ,
मगर किसी को न देखा कभी उसकी कमी को महसूस करते ।
उसके लिए परिवार का प्रत्येक जन महत्वपूर्ण है ।
मगर किसी को कभी यह कहते सुना ,
“तू हमारी जान है ” !
यह चार शब्द सुनने को उसके सारी उम्र कान तरस जाते।
आखिर घरवाले गृहणी को एक मनुष्य क्यों नही समझते ?