गुस्ताख़ी माफ़
अगर जान की अमान पाऊं
तो अब कुछ अर्ज़ करूं!
मजलूमों और महरूमों का
खुद को हमदर्द करूं!
मैं अपनी अगली नस्लों को
ज़वाब दे पाने के लिए!
एक अवामी शायर होने का
अदा अपना फ़र्ज़ करूं!
Shekhar Chandra Mitra
अगर जान की अमान पाऊं
तो अब कुछ अर्ज़ करूं!
मजलूमों और महरूमों का
खुद को हमदर्द करूं!
मैं अपनी अगली नस्लों को
ज़वाब दे पाने के लिए!
एक अवामी शायर होने का
अदा अपना फ़र्ज़ करूं!
Shekhar Chandra Mitra