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11 Nov 2021 · 1 min read

गुस्ताख़ी माफ़

अगर जान की अमान पाऊं
तो अब कुछ अर्ज़ करूं!
मजलूमों और महरूमों का
खुद को हमदर्द करूं!
मैं अपनी अगली नस्लों को
ज़वाब दे पाने के लिए!
एक अवामी शायर होने का
अदा अपना फ़र्ज़ करूं!
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
147 Views
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