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13 May 2022 · 1 min read

गुल गुल गुलशन गुलजार करता

गुल-गुल गुलशन गुलजार करता
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गुल-गुल गुलशन गुलजार करता है,
काँटा फूलों से प्यार करता है।

खिलती कलियों से रोनकेँ होती,
भँवर बोंडी दीदार करता है।

लहरों में जब – जब फंसती नावें,
नाविक ही नैया पार करता है।

यारो जैसा मिलता सहारा सा,
आगे बढ़ कर दीवार करता है।

मनसीरत पवनो के संग लहराता,
मौसम बदला बीमार करता है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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