गुलाब
इतना मनमोहक है रूप तुम्हारा,
भगवान की बनाई इस दुनिया,
को लगता है प्यारा।
क्या बयां करें तुम्हारी सुन्दरता,
इसके आगे तो सारा जहान है हारा।
कहां से लाते हो तुम इतना लुभावना पन,
कि एक बार यदि इन्सान तुम्हे ,
देखें दे दे अपना मन।
तुम्हारी पंखुड़ियों को छूने मात्र से,
ही दिल में तुम्हारे लिए एक रिश्ता -बन जाता है।
फिर क्यों न देखे तुम्हें प्यार से कोई ,
देखें बिना रहा न जाता है।
तुम्हारी चमक ही इतनी प्यारी है,
कि बस दिल देखता ही रह जाए ।
फिर क्यों न सब के मन में तुमको ,
पाने का ख्याल आय ।
अरे ! गुलाब तुझे तो रब ने वो रहमत बख्शी है।
कि मरने के बाद भी दुनिया तुझे याद रखती है।
चाहकर भी इंसान तुम्हें भुला नहीं सकता।
क्योंकि इतर बनकर तू सबके घरों में है सजता।