गुरु
गुरु बड़ा नित मानिए, सदा करो सम्मान,
ज्यों-ज्यों मान बढ़ावत हो, त्यों-त्यों बनो महान ।
ओझल जब सब पथ हुए चहुँ ओर अंधकार,
गुरु दिखावत रास्ता, खुशियाँ मिले अपार ।
गुरुजन अब सब आपसे, मेरा एक उद्गार ।
गर्वित” भए चरण-धूलि से, वंदन करो स्वीकार ॥