गुरु
गुरु
कुछ ही गुज़री है उम्र
जीवन का सार अभी बाकी है ।
संवारा है कितनो का भविष्य
ना जाने कितनो को सन्मार्ग दिखाना अभी बाकी है ।
हर कर सारे अवगुण
गुणों का संसार बसाना अभी बाकी है ।
सवालों के महासागर से।
समाधानों की गागर झलकाना अभी बाकी है ।
मां सी ममता की छाया
पिता के गुरुर का प्रतिबिम्ब देखना अभी बाकी है ।
राह तो दिखा दी उसने
मंजिल पाना अभी बाकी है ।
साँचा तो तैयार है
बस ढलना अभी बाकी है ।
गुरु तो रत्नो की वो खान है
जिमसे से ज्ञानरुपी नवरत्न खोजना अभी बाकी है ।
शिक्षा अभी बाकी है गुरु का सम्मान अभी बाकी है
गुरु पहचान अभी बाकी है गुरु नाम अभी बाकी है ।
कर लो मान गुरु का
जीवन उद्धार अभी बाकी है ।
– रुपाली भारद्वाज