गुरु
गुरु ज्ञान रूपी दीपक
स्वयं जलकर जो करें प्रकाशित
बहती सरिता की धारा है
ज्ञान पुंज से भविष्य सँवारा
पथ प्रदर्शक जीवन का
चाहें उन्नति शिष्य की गुरु शुभचिंतक
जीवन महके सौरभ सा सदा
गुरु ज्ञान पाकर लगे गौरव सा
ज्ञान का अथाह सागर
जीवन कर दे उजागर
नव युग निर्माता
गुरु ही भाग्य विधाता
आधुनिकता पकड़ें चाहें कितनी रफ्तार
गुरु परम ज्ञान बिना जीवन नि:सार
गुरु सद्सानिध्य ही उपहार
गुरु ज्ञान ज्योति बिना जीवन अंधकार
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़
गुरु बना दें मूरत।
सूर्य सम उर्जा गुरु की
अम्बर सा विस्तार
दसों दिशाओं में फैले
गुरु ज्ञान का प्रकाश
गुरु से मिले प्रेरणा
जीवन मूल्य सिद्धान्त
गुरु पर दृढ़ विश्वास
जीवन में सही राह बताकर
गुरु बनकर पतवार
शिष्य जीवन की नैया को गुरु लगा दे पार
गुरु विश्वामित्र गुरु वशिष्ठ महान
दिव्य ज्ञान से बदल दिए युग
गुरु की महिमा जग में महान
गुरु वर को करते हम बारम्बार प्रणाम।
नेहा
खैरथल अलवर (राजस्थान)