गुरु वंदना
गुरू वंदन
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गुरू चरण में नत्मस्तक हो,
बारमबार करूँ मै वन्दन।
जीवन मार्ग जो हमे दिखाया
सही गलत में भेद सिखाया,
कभी गलत कुछ ना ह़ो हमसे
सत्य के पथ पर हमें चलाया।
जिसने सत्य से हमें मिलाया
उनका करूँ नित्य अभिनंदन।
गुरू चरण में नत्मस्तक हो,
बारमबार करूँ मैं वन्दन्।
शिक्षित कर सम्मान दिलाया
इस जग में एक नाम दिलाया,
बिन शिक्षा पशुवत जीवन से
मुक्त करा इंसान बनाया।
मानवता का ज्ञान दिया जो
उसके लिए सदा अभिनंदन,
गुरू चरण में नत्मस्तक हो
बारमबार करूँ मैं वन्दन।
अंधकार में मार्ग दिखाया
जीवन से भटकाव मिटाया,
क्षण – भंगुर नश्वर जीवन से
मेरा साक्षात्कार कराया।
ज्ञान मिला जो गुरू चरण में
उससे ही यह जीवन धन -धन,
गुरू चरण में नत्मस्तक हो
बारमबार करूँ मैं वन्दन्।
अ, आ, इ, उ हमें सिखाया
क से कर्म का बोध कराया,
भौतिकतावादी बीच। भवर
पार करें विज्ञान सिखाया।
गुरू से हमने जानाजग में
भगवन थे वो देवकी नंदन,
गुरु चरण में नत्मस्तक हो
बारमबार करूँ मैं वन्दन।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
गुरू पूर्णिमा पर सभी गुरूजनों को मेरा सादर चरण स्पर्श।