गुरु पूर्णिमा का महत्व
जा गुरु भ्रम न मिटे, भ्रांति न जीव की जाये।।
ता गुरु झूठा जानिए,त्यागत देर न लाये।।
गुरु पूर्णिमा का महत्व अब बस इतना है कि वर्ष के एक दिन हमने उन्हें याद कर लिया और बस हो गया। कुछ ऊपरी ऊपरी मान्यता और क्रियाकलाप कर लिए और बस हो गयी गुरु पूर्णिमा।
जरा देख तो लीजिये क्यो भला ये पर्व रखा गया है। किसी गुरु ने नही कहा कि गुरु पूर्णिमा होनी चाहिये ये किसी न किसी शिष्य की अपने गुरु द्वारा प्रदत्त ज्ञान का आभार स्वरूप परिणाम रहा होगा।और वो शिष्य भी काफी महान व्यक्तित्व का रहा होगा जो ये जनता था कि वर्ष के तीन सौ चौशठ दिन तो हम अपनी बेबकूफियों में व्यस्त होते ही है कोई एक दिन तो अपने गुरु को याद कर लिया जाए। गुरु माने सच्चाई जो उन्होंने आपको दी है क्योंकि वर्ष भर हम झूठ में जिये तो एक दिन सच को याद कर ले। तो बस ऊपरी ऊपरी गुरु की पूजा कर ली माला अर्पण कर दी प्रसाद आदि लगा दिया मात्र से गुरु प्रसन्न नही हो गए जो हो जाये वो गुरु नही है। हाड़ मास की थोड़ी पूजा करनी है वो तो आपके पास भी है जो पूजनीय है वो गुरु के द्वारा मिला सच है उसकी पूजा करनी है उसके आगे झुकना है। कही भी सिर मत झुका देना। देख लीजिए जहाँ झुके हो वह से भ्रम कट रहा है, अंधकार दूर हो रहा है, भय जा रहा है, शांति मिल रही है, करुणा जाग रही है। अगर ऐसा है तो ठीक है। वरना फौरन वहां से हट जाइए। यही उपर्युक्त दोहे का सार है।