गुरु नानक देव जी —
कायनात को जब जब होती दरकार इंसानियत का हाकिम गुरु नानक आता हर बार!!
नेक नियत के रिश्तो का अलख जगाता ईश्वर का स्वर साक्षात देता दुनियां को नया नया प्रकाश !!
सन चौदह सौ उनहत्तर तलवंडी गांव कालू तुरूपता के घर आंगन दामन में बालक दुनियां में नव सूर्य का मान!!
पंडित ज्ञानी ने देखा बतलाया जन्म लग्न कुंडली नेक नियति मानव मानवता का संत दुनिया में नया प्रभा प्रवाह नानक इसका नाम!!
बचपन से नानक का दिखता परम प्रकाश गुरुओं के हर प्रश्न का उत्तर देत मुस्काय!!
गुरु गोपाल दास ने ओंकार का दुनियां में मतलब महत्त्व का अर्थ दिया बताए!!
पिता कालू मेहता ने देखा नानक का बचपन से ही संत फ़क़ीर का साथ !!
लरिकाई की हंसी ठिठोली शरारत नानक को ना भाए!!
सोच समझ के पिता कीन्ह विचार नानक के नन्हे कान्हे डाला जिम्मेदारी का भार!!
गाय चरावन नानक भोर भाए जंगल को नित जाय!!
नानक मन ही मन कीन्ह विचार जब तक गाय चरत बैठो ध्यान लगाय!!
नित प्रतिदिन नानक गाय चरावन जात जस गईया जंगल चरे तस तस नानक का ध्यान ज्ञान से बढ़त आत्म प्रकाश!!
एक दिन नानक गाय संग गए जंगल को गाय चरत अपनी धुन में नानक बैठे ध्यान लगाय!!
नानक नित् दिन प्रातः गाय चरावन जात प्रतिदिन आश्चर्य का नानक बनत पर्याय!!
एक दिन गाय चरत चरत गई खेत फसल कुछ चबाय !!
किसान खेत का मालिक क्रोधित हो दौड़ा आय बोला बालक नानक से कैसे गाय चराय तुम्हरी लापरवाही से हुआ बहुत नुकसान!!
कैसे भरपाई होवे हांनि सो तुम करो उपाय चाहें तुमरे बापू मेरी हानि भर जाए!!
सुन क्रोधित किसान के कटु वचन नानक के मन को बर्छी सा चुभ जाय!!
बोला किसान चल दृष्ट बालक राजा के दरबार न्याय वहीं होगा करियो तुम हानि भरपाई !!
नानक गया राज दरबार किसान का राजा से किया न्याय की फरियाद!!
बालक नानक को देख राजा राय बहादुर मंद मंद मुस्काय !!
राजा की यादों में नाग छतरी की याद युग की नई रोशनी दुनियां का दरबार आरोपी बन उसके ही दरबार!!
क्रोधित किसान ने राजा को बयां किया सब हाल बोला प्रजा पालक करो आज तुम न्याय !!
राजा ने फिर पूछा घटना का वृत्तान्त किसान की भरपाई का मार्ग!!
बालक नानक बोला सुनो चाचा किसान ध्यान लगाय!!
जितना गईया ने खेत चारि नापो आपन माप जब फसल कटाई होएगी दूना होई मानों हमरी बात!!
किसान का मन नही मानत बोला खिसियाय कैसै भरोसा करूं तुम्हरे बात पर तुम तो खुद बालक बात करत जस भगवान!!
नानक कैसेहु समझाय सगरों जुगुत लगाय किसान के मन मे भरोसा कुछ जगाय!!
बोला किसान बबुआ फसल कटत तक अब इंतज़ार !!
गर निकली तुम्हरी बात ग़लत जानियो फिर अंजाम!!
राजा ने भी किसान को दिया ढाढ़स विश्वास जाओ निश्चित हो होइहि पूरी हानि!!
धीरे धीरे दिन बीते फसल काटन का दिन नियरॉय!!
फसल कटी किसान ने लियो माप लगाय चौहद्दी खेत की लिया दिमाग लगाय!!
ऊपज निकली खेत की गत वर्षों से दुगुनी फसल और आय!!
किसान आत्म ग्लानि से शर्मिंदा ख़ुद से लजाय !!
आत्मा ग्लानि से भरे भाव से गया नानक के पास क्षमा खेद से मांगता शरणागत की नाहीं!!
निश्चल निर्विकार नानक ने किया किसान को माफ!!
सुर्य की प्रबलता गर्मी अधिकाय तकक्ष रूप में नाग देव खुद भयकर गर्मी से रक्षा को नानक के सर अपने फन की छतरी दियो बनाय!!
नानक निश्छल निश्चिन्त रहो ध्यान लगाय!!
राय बहादुर राजा रियासतदा राज काज के कार्य से मंत्री संग निकले जंगल की राह !!
दंग रह गए देख नाग फन की छतरी के साये में बालक ध्यान लगाय!!
बालक कैसे बचें नाग से राजा राय बहादुर सगरों जुगुत लगाय!!
घोड़े पर सवार भाजत तलवार सोवत बालक की रक्षा को राजा राय बहादुर पहुंचे ध्यान मगन बालक के पास!!
धिरे धीरे नाग देवता सरके अपने आप देख दंग राजा हुआ समझ कूछ न पाय!!
बालक नानक के चमत्कार से नित नित महक दमक दुनिया का गुलशन गुलज़ार!!
दुनियां ने बालक नानक को दिया गुरु नानक साहब का नाम!!
कालू मेहता पिता की चाहत नानक गृहस्थ जीवन करे वरण करे दुनियादारी का काज !!
पीता कालू मेहता ने किया बहुत विचार बेटे की छुटे संतई सोचन लगे उपाय!!
बड़े प्यार से बेटे नानक को लिया बुलाय बोले बेटा शुरू करो व्यापार से गृहस्थी की सुरूआत!!
नानक साहिब ने आज्ञकारी पुत्र सा किया पितृ आज्ञा शिरोधार्य!!
पिता ने द्रव्य दिया मित्र संग शुरू किया व्यपार!!
व्यापार की व्यवहारिकता मे नानक का कटता सुबह शाम!!
नित्यं निरंतर की तरह नानक मित्र संग निकले करने को व्यपार भूखे सन्त फकीर जैसे नानक की देखत राह आस लगाय!!
नानक साहिब ने देखा विकल भुख से संत फ़क़ीर का हाल दौड़ें भागे हाट गए लेवन भूखे संतन फ़क़ीर का आहार भूल गए व्यपार!!
व्यापार की पूँजी बाप की आशा औऱ कमाई भूखे की छुधा दृप्ति नानक ने दिया गवाय!!
पिता ने जाना जब पुत्र ने उनकी आश विश्वास की पूंजी को भूखे की छुधा तृप्ति में दिया व्यर्थ गवाय क्रुद्ध छुब्ध हो नानक को पीटत लिया दौड़ाय!!
बहन नानकी ने देखा दुखी पिता से पीटते भाई नानक को पिता को समझाने की कोशिश करत ढाढस देत बधाए।।
पिता पुत्र को नालायक लापरवाह का कुसूरवार मानते उनको क्या पता नानक उनकी सन्तान युग दुनिया की आशाओ उमीदों का रौशन चिराग!!
पिता पुत्र के मध्य मिलते नही विचार पिता की चाहत बेटा सँभाले घर गृहस्थी व्यपार!!
उनको क्या मालूम नानक उनकी संतान युग दुनियां की नए मूल्य मूल्यों की मनाव मानवता का अभिमान!!
बहन नानकी और जय राम पहुंचे राजा राय बहादुर के पास नानक के लिये मांगी नौकरी राय बहादुर ने दिया नानक को नौकरी लेखा जोखा सुल्तानपुर का अनाज गोदाम!!
राजा ने दी नेक नियति से दिया एक सलाह नानक का रच डालो योग्य संगिनि संग व्याह!!
नानक का धूमधाम से माँ बाप ने किया विवाह जीवन संगिनी सुलखनी नानक के जीवन की नव शुरुआत!!
सुलखनी नानक संग पहुचे सुल्तानपुर जिंदगी के अरमानों के साथ!!
नानक ने संभाला राज्य अनाज गोदाम के मुखिया का भार!!
जिंदगी में सब कुछ चलने लगा खुशी मुस्कानों के साथ !!
ईश्वर की कृपा आशीर्वाद से सुखमनी नानक को प्राप्त हुए दो अनमोल रतन पुत्र यश कीर्ती का वरदान!!
नानक की खुशी मुस्कान साथ सहकर्मीयो को ना आई रास!!
वर्षों गुजर गए सुख चैन से जीवन मे ना कोई व्यवधान!!
दौलत खान सुल्तानपुर का बेताज़ बादशाह नानक से मन ही मन रखता नफरत का भाव !!
दौलत खान की यह बात साथ सहकर्मी साथियों ने बनाया हथियार!!
पहुंचे लिये शिकायत सुल्तान दौलत खान के पास!!
किया शिकायत नानक की नमक मिर्ची लगाय!!
आनाज के गोदाम में घपले घोटाले के आरोपों की नफरत के वार घाव दौलत को पसंद आई अवसर और बात!!
दिया आदेश जांच के हर पहलु से जांच हुई निकला ना कोई बात आरोप सही सभी निराधार हुए लेखा जोखा नियत निष्ठा विश्वास के आईने से साफ!!
लज्जित सब सहकर्मी आरोप सभी निराधार दौलत खान आश्चर्य से शर्मिंदा शर्मशार!!
दिन रात सुबह शाम बीतते रहे युग नानक का गुरु नानक साहब का इंतजार !!
एक दिन नानक घर से निकले लौटे नहीं बीतने लगे सुलखनी के निराशा में दिन रात !!
मान लिया परिवार ने अब नही रहा नानक का साथ!!
रोते विलखते परिवार ने छोड़ दिया नानक की आस!!
मन मे मान लिया नानक छोड़ चले गए परिवार अनाथ!!
लौटे नानक तीन दिवस के बाद आश्चर्य चकित भाव मे सब लोग परिवार!!
नानक ने बतलाया अपने अंतर्ध्यान का राज !!
नानक बोले परम शक्ति परमात्मा का है यह आदेश युग दुनियां में मिटाऊं द्वेष दम्भ छल छद्म कपट प्रपंच!!
मानव मानवता प्रेम दया छमा का मार्ग मर्म का नानक कर्म धर्म के ज्ञान का गुरु युग का सूर्योदय प्रवाह!!
त्याग तपस्या युग जीवात्मा कल्याण जीवन का उद्देश्य नियति का वरदान!!
लालो ने भी सुना गुरु सहिब की महिमा और बखान जागि श्रद्धा मन मे गुरु साहिब को घर भोजन का नेवता लिये याचक सा लालो आशीर्वाद को गुरु साहिब के चरणों मे मत्था दियो नवाय!!
गुरु सहिब ने जब देखा निर्मल निश्चल लालो का भाव स्वीकार किया निमंत्रण लालो को गले लगाय!!
गुरु सहिब विराजमान रहे कुछ दिन आमनाबाद जनता जनार्दन गुरु सहिब की वाणी आशीर्वाद पाय अघाय !!
जन जन की इच्छा गुरु सहिब का दर्शन आशीर्वाद की प्यास जो जाए गुरु शरण मे हो जाये निष्पाप निहाल!!
सुना महिमा गुरु की अमनाबाद का रईस नबाब ठानी मन मे जिद गुरु साहिब आवे उसके द्वार!!
भेज दिया निमंत्रण अपने कारिंदों के हाथ गुरु पास जब पहुंचे कारिंदे लिये निमंत्रण भागे सिंह सुन ध्यान से गुरु सहिब ने न्योता दिया लौटाय!!
तब खुद भागा भागा पहुँचा लिए साथ दौलत और अभिमान!!
देखा हत प्रद हुआ गुरु सहिब लालो की सूखी रोटी बड़े प्यार चाव से खात ।।
बोला गर्व अभिमान में गुरु से मैं तो स्वादिष्ट मिठाई भोजन को लाय गुरु साहिब सेवा में ग्रहण करे कलेवा करे कृतार्थ!!
लालो की रोटी जब गुरु सहिब खात चबाय टबके दूध की धार!!
जब गुरु सहिब ने अभिमान की मिश्रि भागो का नैवैद्य लगे दबाय निकल पड़ी रक्त की धार भागो लगा लजाय!!
गुर साहिब बोले तब सुन भागो तू मज़दूरों का खून चूसता सताए देता उन्हें रुलया!!
मज़दूरों का पसीना ही तेरे नैवेद्य में रक्त की हाय!!
जब तू इंसानों के संग नही करेगा इंसानियत का व्यवहार तब तक तेरा मिथ्या अभिमान!!
देखो इस लालो को निश्छल निर्मल मेहनतकश ईमान का इंसान इसकी सुखी रोटी में खुद खुदा खुदाय!!
पश्चात्ताप आत्म ग्लानि से भागो बहुत लजाय चरण पड़ो गुरु साहिब के छोड अहंकार अभिमान!!
नानक जग का गुरु प्रेम शांति का मार्ग मानव मानवता का बुनियादी सिंद्धान्त कल्याण का मार्ग!!
गुरु साहिब को एक दिन धुनी चंद रईस सेठ धुनि चंद ने श्रद्धा से आमन्त्रित किया घर मन पवित्र कर गुरु आशीर्वाद कि चाह !!
गुरु सहिब नानक पहुंचे धुनीचंद के द्वार !!
सेठ धुनिचन्द भाग्य पर फुला नही समाय!!
आदर आस्था से गुरु भक्ति में समर्थ सकती दियो लगाय!!
गुरु भक्ति में धुनि चंद अपनी दौलत संपत्ति का करत रहत बखान!!
गुरु साहब सब सुन रहे धूनीचंद की दौलत का गुण गान धुनी चंद की आप बखान!!
भोजन धुनीचंद का ग्रहण कर धुनि चंद के हाथन में गुरु साहब ने छोटी सी सुई दियो थमाय!!
बोले गुरू साहिब सुनो धूनीचंद तुम्हरें पास तो दौलत की चका चौंध जिंदगी पर क्या मेरी दी सुई तेरे संग जाय अंत काल मे झूठे इस संसार से हाथ साथ कछु ना जात!!
टुटा धुनि का गुरुर गुरु ने लिया गले लगाय धुनि चंद में फैला आत्म प्रकाश!!
*नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर