गुरु चरणों मे चारों धाम
गुरु चरणों मे चारों धाम
(सामाजिक एवंआध्यात्मिक गीत)
तर्ज़ –( सांई चरणो मे चारों धाम)
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गुरु चरणों में चारो धाम गुरु जग मे समाया है |
गुरु सदा करे कल्याण सिर चरणों मे झुकाया है ||**
गुरु है ब्रम्हा गुरु है विष्णु,बड़ा न गुरु से कोय |
गुरुकृपा हो शिष्य पर जग उजियारा होय ||
किर्तीमान होता है प्राणी गुरु जग में समाया है ||1
महादेव सा अवघड़ दानी बीन मांगे सब देता |
जिसकी जितनी चादर चौड़ी वो उतना है लेता ||
गुरु मन है समुद्र समान गुरु जग में समाया है ||2
गुरु ही सच्ची राह दिखाये,बाकी स्वार्थी मेला |
बीना सदगुरु मातपिता के प्राणी रहे अकेला ||
देगा ना कोई साथ गुरु जग मे समाया है ||3
गुरु महिमा वेदों ने गाया जग प्रमाण है सारा |
राम कृष्ण ने भव से तरने गुरु का लिया सहारा ||
सारे जग की है यह रीत गुरु जग मे समाया है ||4
डॉ पी सी बिसेन बालाघाट