गुरु की महिमा
गुरु की महिमा न्यारी,
गुरु के हम आभारी।
गुरु की पावन वाणी से,
निकली है ज्ञान की धारा।
पाकर ज्ञान को इनके अब,
हुआ जीवन धन्य हमारा।।1।।
गुरु सिखाते कष्ट को सहना,
सत्य मार्ग पर चलना।
अपनो की खुशियों की खातिर,
मोम की तरह पिघलना।।2।।
गुरु बिना कोई ज्ञान न पाता,
भटके वो दर दर अंदर।
गुरु के ज्ञान का पार नहीं है,
गुरु है एक समन्दर।।3।।
करें वन्दना गुरुजनो की,
हम श्रद्धा भाव जगाएं।
सेवा और जतन से अपना,
जीवन सफल बनायें।।4।।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार