गुरुवर मेरी प्रार्थना
हे गुरुवर ये प्रार्थना, मेरी दो कर जोड़।
नैया है मजधार में , तुम साथ न देना छोड़।।1।।
गुरु कृपा से ही होती , उज्ज्वलता भरपूर।
गुरु की अलौकिक ज्योति से, होता है तम दूर।।2।।
गुरु शरण मे आइये, गुरु है दया का नाम।
गुरु के चरणों में ही है, तीरथ चारो धाम।।3।।
गुरु के आशीर्वाद में, शक्ति अपरम्पार।
गुरु की सेवा से खुलता,ईश्वर का दरबार।।4।।
सच्ची मन में भावना, हो सच्चा दृढ़ विश्वास।
गुरु के आशीर्वाद से , मन ईश्वर करते वास।।5।।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार
5 जुलाई 2020( गुरुपूर्णिमा)