गुरुदेव आपका अभिनन्दन
वंदन है! वंदन है,
गुरु चरणों में वंदन है।
जिनके चरण कमल की सेवा,
अपनी भक्ति का सम्बल है।। १।।
दान, दया और त्याग तपस्या,
जिनके व्यक्तित्व का आभूषण।
सहनशीलता और विनम्रता,
उनके आचरण का आकर्षण।। 2।।
प्रभुपाद के सच्चे सेवक,
हर क्षण रहते सेवा मग्न ।
क्षण भर जिनका संग मिले तो,
हो जाये यह जीवन धन्य।। ३।।
माया से जलते हृदयों पे,
ज्ञान कृपा की वर्षा की।
उत्तर दक्षिण पूरब पक्षिम
हरी नाम पर चर्चा की।। ४।।
छह वेगों पर अद्भुत धैर्य,
छह दोषों से जो हैं कोसो दूर।
उत्साह भाव से भरे हुए,
गुरु महाराज हमारे देव तुल्य।। ५।।
कलयुग के इस महाभँवर से,
दूर ले जाने आये हैं,
गुरु आपका अभिनन्दन।
जो हमको बंधन मुक्त कराने आये हैं ।। ६।।
जिनके उपकारों की गाथा का,
कितना मैं गुणगान करू।
शब्दकोष भी सीमित लगते,
जब कृपा का आपके ध्यान धरु।। ७।।
शत बार आपका अभिनन्दन,
शत बार आपका अभिनन्दन।
मानुष जनम की राह दिखा दी,
हे गुरुदेव आपका है वंदन ।। ८।।