गुरुदक्षिणा
सुनो मेरे बच्चों
जितना ज्ञान है मेरे पास
बांटती रही हूं तुम लोगों में।
और तुम इस अर्जित ज्ञान
का प्रयोग करोगे
आजीविका अर्जन में।
एक ऊंचाई पर पहुंच कर
कभी याद आए मेरी
और मन करे
गुरुदक्षिणा देने का
तो ढूंढना मत मुझे
किसी स्कूल में,
सोशल मीडिया पर,
इधर- उधर या यहां -वहां।
बस…किसी गरीब बस्ती के
किसी अभावग्रस्त बच्चे की
थाम कर उँगली
पहुंचा देना स्कूल।
ताकि वह भी पहुंच जाए वहां
जहां तुम आज हो !
मैं गुरु भी हूँ , माँ भी
तुमसे अंगूठा नहीं
विद्या – दान ही मांगूंगी।
दे पाओगे मुझे
मेरी गुरुदक्षिणा?
*** धीरजा शर्मा****