Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2024 · 1 min read

गुम हो जाते हैं साथ चलने वाले, क़दम भी कुछ ऐसे।

गुम हो जाते हैं साथ चलने वाले, क़दम भी कुछ ऐसे,
कि बारिशों ने कभी छुआ हीं ना हो, सूखे पत्तों को जैसे।
निशानियां बनायीं भीं थीं तो, सागर के किनारे ढूंढें उसे कैसे,
कि दावे किये थे लहरों ने, और वो समंदर हुए जैसे।
वो कहानियां ख़्वाहिशों की आयी थी, गुलमोहरों के हिस्से,
हुई पतझड़ों की जो शिरक़त, तो अब बिखरे हैं उनके किस्से।
होश रहता है पर, हर पल लड़ते हैं एहसासों की बेहोशी से,
कि बातें होती हैं अब बस, आँखों में घुली खामोशी से।
ख़्वाबों का एक आशियाँ, जाने हमने भी बना लिया कैसे,
खौफ टकराई है अब हकीकत से, और आई है मेरे हीं आँखों के हिस्से।
साँसें लेती हैं अब तो खुशियां, बस तस्वीरों के सहारे से,
भागूं कितना भी तेरे पीछे, पर परछाईयों को पकड़ूँ भी तो कैसे।
मेरी दुआएं सुनकर डरते हैं, अब तो सितारे भी टूटने से,
कि कैसे जोड़ें उन लकीरों को, जो बनकर राख उड़ चुके हैं किस्मत से।

2 Likes · 45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
जो मन से ही बेहद कमजोर होगा,
जो मन से ही बेहद कमजोर होगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लतियाते रहिये
लतियाते रहिये
विजय कुमार नामदेव
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
Shiva Awasthi
അക്ഷരങ്ങൾ
അക്ഷരങ്ങൾ
Heera S
3779.💐 *पूर्णिका* 💐
3779.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हरे काँच की चूड़ियाँ,
हरे काँच की चूड़ियाँ,
sushil sarna
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
Neeraj kumar Soni
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
कविता झा ‘गीत’
दो दोहे
दो दोहे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
Sonam Puneet Dubey
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
हे राम ।
हे राम ।
Anil Mishra Prahari
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Khwahish jo bhi ho ak din
Khwahish jo bhi ho ak din
Rathwa Dipak Dipak
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
कवि दीपक बवेजा
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"उड़ान"
Yogendra Chaturwedi
🙅गारंटी की वारंटी🙅
🙅गारंटी की वारंटी🙅
*प्रणय प्रभात*
नज़र में मेरी तुम
नज़र में मेरी तुम
Dr fauzia Naseem shad
सोच
सोच
Neeraj Agarwal
*कैसे  बताएँ  कैसे जताएँ*
*कैसे बताएँ कैसे जताएँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
Aarti sirsat
पथ सहज नहीं रणधीर
पथ सहज नहीं रणधीर
Shravan singh
मेरी कलम
मेरी कलम
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"Know Your Worth"
पूर्वार्थ
ये नयी सभ्यता हमारी है
ये नयी सभ्यता हमारी है
Shweta Soni
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
तुम्हारे
तुम्हारे
हिमांशु Kulshrestha
Loading...