गुमान
हम सा न है कोई जमाने में
छू न पाएगा कोई मेरा साया
गुमान मुझे काबिलियत पर
ना काबिल कहां टिक पाया
बुलंदी का गुमान रेत मुट्ठी मे
कैसे रोकोगे कौन रोक पाया
किला ए गुमान ढह जायेगा
कब हुआ किसी का सरमाया
है गुमान मुझे आइना हूं मैं
सच हूं झूठ नहीं कह पाया
गर्द चेहरे पे साफ तो कर लो
बेवजह शक मन मेरा शर्माया
जवां अपने मुल्क के खातिर
मर मिटेंगे जहां शत्रु आया
गुमान है इन्हे अपने ऊपर
न रहेगा कोई जो इधर आया
कागज की नाव पे सवारी है
पार उतरेंगे ये मन भरमाया
गुमान तूफां डुबोयेगा कश्ती
ये हमको साहिल पे ले आया
कब किया तूने इश्क का दावा
गुमान तुझ पे मेरा सही पाया
गैरों पे रहमो-करम बना रहता
मामलाऐदिल नही समझ पाया
नादान क्या बुलंदी का गुमान
मुकाम पे कोई रह नही पाया
जहां तू आज कल कोई और
न रूकेगा न कोई ठहर पाया
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर
प्रतियोगिता प्रतिभागी पुरस्कृत