Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Aug 2022 · 1 min read

गुमानी एहसास

कई एहसास बिन बताए ही
ख्वाबों में आकर,
गुफ्तगू करके चले गए।

थकी थकी पलकें
यूँ मुरझाई पलकें,
ढक लेती हैं
जब जब आंखों को आहिस्ते से
तो ख्वाबों की दुनिया का
एक दरवाज़ा खुलता है,
वो जहां अनजान लगता है,
समुद्र का किनारा लगता है,
दूर गगन का तारा लगता है,

वो दुनिया कभी सुनहरी लगती है
कभी कभी रात अंधेरी लगती है
कभी डर के साये में
सपनों की दुनिया दिखती है
कभी किसी हूर के आगोश में
चंद लम्हों की उम्र गुज़रती है।

कभी यहीं,
ख़ौफ़ज़दा होकर नज़रें मेरी
इधर उधर दौड़ती हैं
ना जाने किस से डरती हैं
किस से खुद को बचाती हैं

जिनसे मिले हुए बरस बित गए
अचानक ही वो करीब आ जाता है
साथ अपने अतीत की सुराही ले आता है
उसमे से कुछ यादों को निकाल
वो ख्वाबों को महका जाता है

मगर कुछ ख्वाब ऐसे भी हैं
जो आये, रुके,
थोड़ा परेशान किये
अपना ही गुमान किये
कुछ खुशी के वास्ते
कुछ हँसी के वास्ते
सवालों पे सवाल किये
और फिर अचानक ही
बीच राह में
भटके पथिक की तरह
मेरे मन के भीतर
एक टिस छोड़ गए।

कई एहसास बिन बताए ही
ख्वाबों में आकर
गुफ्तगू करके चले गए।

शिवम राव मणि

Language: Hindi
3 Likes · 106 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जज़्बा है, रौशनी है
जज़्बा है, रौशनी है
Dhriti Mishra
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
मौन आँखें रहीं, कष्ट कितने सहे,
Arvind trivedi
जिंदगी को रोशन करने के लिए
जिंदगी को रोशन करने के लिए
Ragini Kumari
कुछ लोग बड़े बदतमीज होते हैं,,,
कुछ लोग बड़े बदतमीज होते हैं,,,
विमला महरिया मौज
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
Mahima shukla
करती पुकार वसुंधरा.....
करती पुकार वसुंधरा.....
Kavita Chouhan
पश्चाताप
पश्चाताप
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ईर्ष्या, द्वेष और तृष्णा
ईर्ष्या, द्वेष और तृष्णा
ओंकार मिश्र
"ज्ञ " से ज्ञानी हम बन जाते हैं
Ghanshyam Poddar
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
ओनिका सेतिया 'अनु '
#एक_विचार
#एक_विचार
*Author प्रणय प्रभात*
कवि मोशाय।
कवि मोशाय।
Neelam Sharma
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
Vipin Singh
Exhibition
Exhibition
Bikram Kumar
सब वर्ताव पर निर्भर है
सब वर्ताव पर निर्भर है
Mahender Singh
"भक्त नरहरि सोनार"
Pravesh Shinde
गुरु रामदास
गुरु रामदास
कवि रमेशराज
सब कुछ दुनिया का दुनिया में,     जाना सबको छोड़।
सब कुछ दुनिया का दुनिया में, जाना सबको छोड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*शादी को जब हो गए, पूरे वर्ष पचास*(हास्य कुंडलिया )
*शादी को जब हो गए, पूरे वर्ष पचास*(हास्य कुंडलिया )
Ravi Prakash
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
Paras Nath Jha
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
आज तो ठान लिया है
आज तो ठान लिया है
shabina. Naaz
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
Neeraj Agarwal
राम है आये!
राम है आये!
Bodhisatva kastooriya
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
Dushyant Kumar
Life is a series of ups and downs. Sometimes you stumble and
Life is a series of ups and downs. Sometimes you stumble and
Manisha Manjari
सुरक्षा कवच
सुरक्षा कवच
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...